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भारत के किसानों की समस्याएं से जुझ रहा है! किसानों की दशा

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भारत के किसानों की समस्याएं से जुझ रहा है! किसानों की दशा

भूमि पर अधिकार- देश में कृषि भूमि के मालिकाना हक को लेकर विवाद सबसे बड़ा है. असमान भूमि वितरण के खिलाफ किसान कई बार आवाज उठाते रहे हैंl जमीनों का एक बड़ा हिस्सा बड़े किसानों, महाजनों और साहूकारों के पास है जिस पर छोटे किसान काम करते हैंl ऐसे में अगर फसल अच्छी नहीं होती तो छोटे किसान कर्ज में डूब जाते हैंl

फसल पर सही मूल्य- किसानों की एक बड़ी समस्या यह भी है कि उन्हें फसल पर सही मूल्य नहीं मिलताl वहीं किसानों को अपना माल बेचने के तमाम कागजी कार्यवाही भी पूरी करनी पड़ती हैl मसलन कोई किसान सरकारी केंद्र पर किसी उत्पाद को बेचना चाहे तो उसे गांव के अधिकारी से एक कागज चाहिए होगाl ऐसे में कई बार कम पढ़े-लिखे किसान औने-पौने दामों पर अपना माल बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैंl

अच्छे बीज- अच्छी फसल के लिए अच्छे बीजों का होना बेहद जरूरी हैl लेकिन सही वितरण तंत्र न होने के चलते छोटे किसानों की पहुंच में ये महंगे और अच्छे बीज नहीं होते हैंl इसके चलते इन्हें कोई लाभ नहीं मिलता और फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती हैl




सिंचाई व्यवस्था- भारत में मॉनसून की सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकतीl इसके बावजूद देश के तमाम हिस्सों में सिंचाई व्यवस्था की उन्नत तकनीकों का प्रसार नहीं हो सका हैl उदाहरण के लिए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में सिंचाई के अच्छे इंतजाम है लेकिन देश का एक बड़ा हिस्सा ऐसा भी है जहां कृषि, मॉनसून पर निर्भर हैl इसके इतर भूमिगत जल के गिरते स्तर ने भी लोगों की समस्याओं में इजाफा किया हैl

मिट्टी का क्षरण- तमाम मानवीय कारणों से इतर कुछ प्राकृतिक कारण भी किसानों और कृषि क्षेत्र की परेशानी को बढ़ा देते हैंl दरअसल उपजाऊ जमीन के बड़े इलाकों पर हवा और पानी के चलते मिट्टी का क्षरण होता हैl इसके चलते मिट्टी अपनी मूल क्षमता को खो देती है और इसका असर फसल पर पड़ता हैl

मशीनीकरण का अभाव- कृषि क्षेत्र में अब मशीनों का प्रयोग होने लगा है लेकिन अब भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां एक बड़ा काम अब भी किसान स्वयं करते हैंl वे कृषि में पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैंl खासकर ऐसे मामले छोटे और सीमांत किसानों के साथ अधिक देखने को मिलते हैंl इसका असर भी कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और लागत पर साफ नजर आता हैl

भंडारण सुविधाओं का अभाव- भारत के ग्रामीण इलाकों में अच्छे भंडारण की सुविधाओं की कमी हैl ऐसे में किसानों पर जल्द से जल्द फसल का सौदा करने का दबाव होता है और कई बार किसान औने-पौने दामों में फसल का सौदा कर लेते हैंl भंडारण सुविधाओं को लेकर न्यायालय ने भी कई बार केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार भी लगाई है लेकिन जमीनी हालात अब तक बहुत नहीं बदले हैंl

परिवहन भी एक बाधा- भारतीय कृषि की तरक्की में एक बड़ी बाधा अच्छी परिवहन व्यवस्था की कमी भी हैl आज भी देश के कई गांव और केंद्र ऐसे हैं जो बाजारों और शहरों से नहीं जुड़े हैंl वहीं कुछ सड़कों पर मौसम का भी खासा प्रभाव पड़ता हैl ऐसे में, किसान स्थानीय बाजारों में ही कम मूल्य पर सामान बेच देते हैंl कृषि क्षेत्र को इस समस्या से उबारने के लिए बड़ी धनराशि के साथ-साथ मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता भी चाहिएl

पूंजी की कमी- सभी क्षेत्रों की तरह कृषि को भी पनपने के लिए पूंजी की आवश्यकता हैl तकनीकी विस्तार ने पूंजी की इस आवश्यकता को और बढ़ा दिया हैl लेकिन इस क्षेत्र में पूंजी की कमी बनी हुई हैl छोटे किसान महाजनों, व्यापारियों से ऊंची दरों पर कर्ज लेते हैंl लेकिन पिछले कुछ सालों में किसानों ने बैंकों से भी कर्ज लेना शुरू किया हैl लेेकिन हालात बहुत नहीं बदले हैंl



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