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भारत पाक विभाजन के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी

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भारत पाक विभाजन के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी

हंगामा, अफरातफरी, हिंसा और अव्यवस्था की आंधियों के बीच ही पाकिस्तान नाम के एक नये देश का जन्म हुआ और ना जाने कितनी त्रासदियों की सिर उठाने का मौका मिलाl उन त्रासदियों को एक बार कुछ संख्याओं की नजर से जानते हैंl,,,,, 1612 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहली बार भारत में पांव रखे, तब देश के एक बड़े हिस्से में मुगल शासन का अधिपत्य था और शासक था जहांगीरl यहां से कारोबारी रिश्ते की शुरुआत कर ईस्ट इंडिया कंपनी पूरे भारत पर हुकूमत करने लगीl 1857 के विद्रोह के बाद हुकूमत सीधे ब्रिटिश राज के हाथ में चली गईl,,,, 1857 के विद्रोह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली बड़ी घटना माना जाता हैl अंग्रेज सरकार इस विद्रोह को दबाने में कामयाब रही लेकिन भारतीयों के मन में इसकी चिंगारी सुलगती रहीl पूरे 90 साल तक छोटे बडे हिंसक और अहिंसक आंदोलनों का नतीजा 1947 में मिला और भारत आजाद हुआ लेकिन विभाजित होकरl,,, 70 साल का बंटवारा, ये वो साल हैं जो भारत के विभाजन के बाद बीते हैंl पाकिस्तान के दो हिस्से थे पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तानl पूर्वी पाकिस्तान बाद में एक एक अलग देश बन गयाl इसमें भारत ने भी मदद की और आज उसे बांग्लादेश कहते हैंl

31.8 करोड़:- विभाजन से पहले भारत की जनसंख्या इतनी ही थीl 1941 की जनगणना के मुताबिक तब हिंदुओँ की संख्या 29.4 करोड़, मुस्लिम 4.3 करोड़ और बाकी लोग दूसरे धर्मों के थेl मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के हित में अधिकार मांगे जिसे कांग्रेस ने ठुकरा दियाl नतीजे में मुस्लिम लीग ने अलग राष्ट्र की मांग कर दी और उसे पाने में कामयाब हुएl 2,897 किलोमीटर ये उस सीमा रेखा की लंबाई है जो भारत और पाकिस्तान को विभाजित करती हैl इसमें कुछ हिस्सा अब भी विवादित हैl भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 में जो रेखा खींची गयी वो धर्म की थीl बहुसंख्यक मुस्लिम पाकिस्तान चले गये जबकि हिंदू भारत के हो कर रह गयेl 1.2 करोड़ ये संख्या उन लोगों की है जो इस विभाजन के कारण विस्थापित हुएl कुछ इतिहासकार इसे दुनिया में सबसे बड़ा विस्थापन बताते हैंl मुसलमानों की बहुत बड़ी आबादी अपनी जन्मभूमि को छोड़ पाकिस्तान चली गयीl इसी तरह हिंदुओं ने भारत का रुख कियाl लोगों के दल जब सीमा पार कर रहे थे तब ये कतारें कई कई किलोमीटर लंबी थींl




बहुत से विद्वानों का मत है कि ब्रिटिश सरकार ने विभाजन की प्रक्रिया को ठीक से नहीं संभाला। चूंकि स्वतंत्रता की घोषणा पहले और विभाजन की घोषणा बाद में की गयी, देश में शांति कायम रखने की जिम्मेवारी भारत और पाकिस्तान की नयी सरकारों के सर पर आई। किसी ने यह नहीं सोचा था कि बहुत से लोग इधर से उधर जाएंगे। लोगों का विचार था कि दोनों देशों में अल्पमत संप्रदाय के लोगों के लिए सुरक्षा का इंतज़ाम किया जाएगा। लेकिन दोनों देशों की नयी सरकारों के पास हिंसा और अपराध से निबटने के लिए आवश्यक इंतज़ाम नहीं था। फलस्वरूप दंगा फ़साद हुआ और बहुत से लोगों की जाने गईं और बहुत से लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा। विभाजन का एलान होने के बाद हुई हिंसा में कितने लोग मारे गये, इसे लेकर अलग अलग आंकड़े हैंl आमतौर पर इसकी संख्या 5 लाख बतायी जाती हैl हालांकि ये संख्या सही सही नहीं बतायी जा सकतीl माना जाता है कि दो लाख से 10 लाख के बीच लोगों की मौत हुईl इसके अलावा 75 हजार से 1 लाख महिलाओं का बलात्कार या हत्या के लिए अपहरण हुआl




भारत के ब्रिटिश शासकों ने हमेशा ही भारत में “फूट डालो और राज्य करो” की नीति का अनुसरण किया। उन्होंने भारत के नागरिकों को संप्रदाय के अनुसार अलग-अलग समूहों में बाँट कर रखा। उनकी कुछ नीतियाँ हिन्दुओं के प्रति भेदभाव करती थीं तो कुछ मुसलमानों के प्रति। 20वीं सदी आते-आते मुसलमान हिन्दुओं के बहुमत से डरने लगे और हिन्दुओं को लगने लगा कि ब्रिटिश सरकार और भारतीय नेता मुसलमानों को विशेषाधिकार देने और हिन्दुओं के प्रति भेदभाव करने में लगे हैं। इसलिए भारत में जब आज़ादी की भावना उभरने लगी तो आज़ादी की लड़ाई को नियंत्रित करने में दोनों संप्रदायों के नेताओं में होड़ रहने लगी।

विभाजन के बाद के महीनों में दोनों नये देशों के बीच विशाल जन स्थानांतरण हुआ। पाकिस्तान में बहुत से हिन्दुओं और सिखों को बलात् बेघर कर दिया गया। लेकिन भारत में गांधीजी ने कांग्रेस पर दबाव डाला और सुनिश्चित किया कि मुसलमान अगर चाहें तो भारत में रह सकें। सीमा रेखाएं तय होने के बाद लगभग 1.45 करोड़ लोगों ने हिंसा के डर से सीमा पार करके बहुमत संप्रदाय के देश में शरण ली। 1951 की विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। इसमें से 78 प्रतिशत स्थानांतरण पश्चिम में, मुख्यतया पंजाब में हुआl




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