UPSC Economics Syllabus Optional Paper 1 & 2
UPSC Mains Exam Syllabus Optional Paper
दोस्तों यह UPSC Economics Syllabus का सम्पूर्ण टॉपिक के साथ दीया गया हैl यूपीएससी एग्जाम का तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स इसको एक बार अच्छी तरीके से पढ़ेंl
अर्थशास्त्र सिलेबस UPSC Economics Syllabus
अर्थशास्त्र ऐच्छिक विषय-1,मार्क्स 250,समय 3 घंटा
अर्थशास्त्र ऐच्छिक विषय-2.मार्क्स 250,समय 3 घंटा
UPSC Economics Syllabus Optional Paper 1
- उन्नत व्यष्टि अर्थशास्त्र :
(क) कीमत निर्धरण के मार्शलियन एवं वालरासियम उपागम ।
(ख) वैकल्पिक वितरण सिद्दांत: रिकार्डों, काल्डोर, कलीकी ।
(ग) बाजार संरचना: एकाधिकारी प्रतियोगिता, द्विअधिकार, अल्पाधिकार ।
(घ) आधुनिक कल्याण मानदंड: परेटी हिक्स एवं सितोवस्की, ऐरो का असंभावना प्रमेय, ए. के. सेन का सामाजिक कल्याण फलन ।
- उन्नत समष्टि अर्थशास्त्र :
नियोजन आय एवं ब्याज दर निर्धरण के उपागम: क्लासिकी,कीन्स (IS-LM) वक, नवक्लासिकी संश्लेषण एवं नया क्लासिकी, ब्याज दर निर्धरण एवं ब्याज दर संरचना के सिद्दांत ।
- मुद्रा बैंकिंग एवं वित्त:
(क) मुद्रा की मांग और पूर्णतः मुद्रा का मुद्रा गुणक मात्रा सिद्दांत (फिशर, पीक एवं प्रफाइडमैन) तथा कीन का मुद्रा के लिए मांग का सिद्दांत, बंद और खुली अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा प्रबंधन के लक्ष्य एवं साधन । केन्द्रीय बैंक और खजाने के बीच संबंध । मुद्रा की वृद्दि दर पर उच्चतम सीमा का प्रस्ताव ।
(ख) लोक वित्त और बाजार अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका: पूर्णतः के स्थिरीकरण में, संसाधनों का विनिधन और वितरण और संवृद्दि । सरकारी राजस्व के स्रोत, करों एवं उपदानों के रूप, उनका भार एवं प्रभाव । कराधन की सीमाएं, ऋण, क्राउडिंग आउट प्रभाव एवं ऋण लेने की सीमाएं । लोक व्यय एवं इसके प्रभाव ।
- अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र :
(क) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के पुराने और नए सिद्दांत:
(I) तुलनात्मक लाभ,
(II) व्यापार शर्तें एवं प्रस्ताव वक्र,
(III) उत्पाद चक्र एवं निर्णायक व्यापार सिद्दांत,
(IV) ‘‘व्यापार, संवृद्दि के चालक के रूप में’’ और खुली अर्थव्यवस्था में अवविकास के सिद्दांत ।
(ख) संरक्षण के स्वरूप: टैरिफ एवं कोटा ।
(ग) भुगतान शेष समायोजन: वैकल्पिक उपागम:
(I) कीमत बनाम आय, नियत विनिमय दर के अधीन आय के समायोजन ।
(II) मिश्रित नीति के सिद्दांत ।
(III) पूंजी चलिष्णुता के अधीन विनिमय दर समायोजन ।
(IV) विकासशील देशों के लिए तिरती दरें और उनकी विवक्षा, मुद्रा (करेंसी) बोर्ड ।
(V) व्यापार नीति एवं विकासशील देश ।
(VI) BOP खुली अर्थव्यवस्था समष्टि माॅडल में समायोजन तथा नीति समन्वय ।
(VII) सट्टा ।
(VIII) व्यापार गुट एवं मौद्रिक संघ ।
(IX) विश्व व्यापार संगठन (WTO) : TRIM, TRIPS घरेलू उपाय WTO बातचीत के विभिन्न चक्र ।
- संवृद्दि एवं विकास
(क) (I) संवृद्दि के सिद्दांत: हैरड का माॅडल ।
(II) अधिशेष श्रमिक के साथ विकास का ल्यूइस माॅडल ।
(III) संतुलित एवं असंतुलित संवृद्दि ।
(IV) मानव पूंजी एवं आर्थिक वृद्दि ।
(ख) कम विकसित देशों का आर्थिक विकास का प्रक्रम: आर्थिक विकास एवं संरचना परिवर्तन के विषय में मिर्डल एवं कुजमेंटस: कम विकसित देशों के आर्थिक विकास में कृषि की भूमिका ।
(ग) आर्थिक विकास तथा अंतर्राष्ट्रीय एवं निवेश, बहुराष्ट्रीयों की भूमिका ।
(घ) आयोजना एवं आर्थिक विकास: बाजार की बदलती भूमिका एवं आयोजना, निजी-सरकारी साझेदारी ।
(घ) कल्याण संकेतक एवं वृद्दि के माप-मानव विकास के सूचक । आधारभूत आवश्यकताओं का उपागम ।
(च) विकास एवं पर्यावरणी धारणीयता-पुनर्नवीकरणीय एवं अपुनर्नवीकरणीय संसाधन, पर्यावरणी अपकर्ष अंतर-पीढ़ी इक्विटी विकास ।
UPSC Economics Syllabus Optional Paper 2
- स्वतंत्रता पूर्व युग में भारतीय अर्थव्यवस्था: भूमि प्रणाली एवं इसके परिवर्तन, कृषि का वाणिज्यिीकरण, अपवहन सिद्दांत, अबंधता सिद्दांत एवं समालोचना । निर्माण एवं परिवहन: जूट कपास, रेलवे, मुद्रा एवं साख ।
- स्वतंत्रता के पश्चात् भारतीय अर्थव्यवस्था:
(क) उदारीकरण के पूर्व का युग
(I) वकील, गाइगिल एवं वी. के. आर. वी. राव के योगदान ।
(II) कृषि: भूमि सुधर एवं भूमि पट्टा प्रणाली, हरित क्रांति एवं कृषि में पूंजी निर्माण ।
(III) संघटन एवं संवृद्दि में व्यापार प्रवृत्तियां, सरकारी एवं निजी क्षेत्रों की भूमिका, लघु एवं कुटीर उद्योग ।
(IV) राष्ट्रीय एवं प्रतिव्यक्ति आय: स्वरूप, प्रवृत्तियां, सकल एवं क्षेत्राीय संघटन तथा उनमें परिवर्तन ।
(V) राष्ट्रीय आय एवं वितरण को निर्धरित करने वाले स्थूल कारक, गरीबी के माप, गरीबी एवं असमानता में प्रवृत्तियां ।
ख. उदारीकरण के पश्चात् का युग
(I) नया आर्थिक सुधर एवं कृषि: कृषि एवं WTO, खाद्य प्रसंस्करण, उपदान, कृषि कीमतें एवं जन वितरण प्रणाली, कृषि संवृद्दि पर लोक व्यय का समाघात ।
(II) नई आर्थिक नीति एवं उद्योग: औद्योगिकीरण निजीकरण,विनिवेश की कार्य नीति, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश तथा बहुराष्ट्रीयों की भूमिका ।
(III) नई आर्थिक नीति एवं व्यापार: बौद्धिक संपदा अध्किार:TRIPS, TRIMS, GATS तथा NEW EXIM नीति की विवक्षाएं ।
(IV) नई विनिमय दर व्यवस्था: आंशिक एवं पूर्ण परिवर्तनीयता ।
(V) नई आर्थिक नीति एवं लोक वित्त: राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम, बारहवां वित्त आयोग एवं राजकोषीय संघवाद तथा राजकोषी समेकन ।
(VI) नई आर्थिक नीति एवं मौद्रिक प्रणाली: नई व्यवस्था में RBI की भूमिका ।
(VII) आयोजना: केन्द्रीय आयोजना से सांकेतिक आयोजना तक, विकेन्द्रीकृत आयोजना और संवृद्धि हेतु बाजार एवं आयोजना के बीच संबंध: 73वां एवं 74वां संविधन संशोधन ।
(VIII) नई आर्थिक नीति एवं रोजगार: रोजगार एवं गरीबी,ग्रामीण मजदूरी, रोजगार सृजन, गरीबी उन्मूलन योजनाएं, नई ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ।
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